Aaj Ka Panchang: आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
Aaj Ka Panchang
नमस्कार दोस्तों आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आज के सुनाए आर्टिकल में आज के इस नए आर्टिकल में हम आप सभी को बताने वाले हैं पंचांग के बारे में आज का पंचांग क्या है एवं पंचांग क्या होता है सारी जानकारी विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं पंचांग के द्वारा आप शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय और तिथि वार के करण के बारे में जान पाते हैं और कौन सा काल शुभ मुहूर्त है किस काल में शुभ कार्य करनी चाहिए सारी जानकारी पंचांग के माध्यम से ही पता चल पाता है इनके बारे में विस्तारपूर्वक नीचे दिए गए आर्टिकल में बताया गया है कृपया आप सभी इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप सभी कुशल मंगल एवं स्वस्थ होंगे आपके कार्य अच्छी चल रही थी और आप सभी अपने कामों में मस्त हो गया और व्यस्त होंगे अगर आप आज का शुभ मुहूर्त देखना चाहते हैं तो जिस समय में आप कोई भी शुभ कार्य करना चाहते हैं तो सारी जानकारी इस पंचांग के माध्यम से जान सकते हैं। दोस्तों हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है। दोस्तों आप सभी को बता दें कि पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बना होता है यह 5 अंग इस प्रकार है तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। दोस्तों यहां हम आपको पंचांग के माध्यम से सूर्यास्त और सूर्योदय का समय, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, तिथि नक्षत्र करण सूर्य और चंद्र ग्रहण की स्थिति हिंदूमास, एवं पक्ष की जानकारी आपको देते हैं आइए जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय क्या है।
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पंचांग के पांचों अंगों की विस्तार पूर्वक जानकारी
पंचांग के 5 अंगों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी नीचे दी गई है
1.तिथि
दोस्तों आप सभी को बता दें कि हिंदू काल गणना के अनुसार ‘ चंद्र रेखांक ‘ को ‘ सूर्य रेखांक ‘ से 12 अंश ऊपर जाने में जो समय लगता है तिथि कहलाता है। एक माह में 30 तिथियां होती है जिन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है। शुक्ल पक्ष के अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम इस प्रकार हैं :-प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दसवीं, एकादशी द्वादशी त्रयोदशी चतुर्दशी अमावस्या/पूर्णिमा
2.नक्षत्र
दोस्तों आप सभी को बता देगी आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इनमें कुल 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रह को इन सभी नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं:-अश्विनी नक्षत्र ,भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।
3. वार
दोस्तों आप सभी को बता दें कि वार का आशय दिन से है 1 सप्ताह में सात वार होते हैं दोस्तों यह सातों वार ग्रहों के नाम पर रखे गए हैं जो कि इस प्रकार हैं:-सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।
4.योग
दोस्तों आप सभी को बता देगी नक्षत्र के भारती योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य- चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योग इस प्रकार हैं:-विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
5.करण
दोस्तों एक तिथि में दो करण होते हैं जो एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में होते हैं।ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं – बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं
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